कोरोना काल में देवदूत बने सोनू सूद | Devdoot Bane Sonu Sood

कोरोना महामारी ने इन दिनों पूरे देश को अपनी चपेट में ले रखा है। हर कोई इस महामारी से खुद को बचाने की कोशिश में लगा हुआ है। तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो खुद की नहीं बल्कि दूसरों की सोचते हैं। उनकी मदद करते हैं।
ऐसे लोग दुनिया से हट कर चलते हैं। उनका सोचने का नजरिया दूसरों के मुकाबले बहुत ही अलग होता है। शायद यही वजह है कि ऐसे लोगों को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान मिलती है Devdoot Bane Sonu Sood ।

आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसी ही एक शख्सियत के बारे में, जिन्होंने न केवल अपने अभिनय के दम पर अपनी पहचान बनाई, बल्कि उन्होंने इंसानियत की एक नई मिसाल कायम की है।

जी हां। हम बात कर रहे हैं सोनू सूद की। सोनू सूद Devdoot Bane Sonu Sood वो नाम है जो वर्ष 2020 में एक हीरो की तरह सामने आए। जी हां दोस्तों, यही वो वर्ष था जब कोरोना महामारी ने कथित तौर पर, चीन से शुरू होकर पूरी दुनिया में अपने पैर जमा लिए थे।

इस बीमारी के कारण पूरी दुनिया में करीब लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। कोरोना के समय में जहां कुछ लोग अपने स्वार्थ के कारण लाखों लोगों से किसी भी तरह से पैसे एंठने में लगे थे। तो वहीं दूसरी तरफ सोनू सूद थे। जो निःस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहे थे। चलिए आपको बताते हैं कि ऐसे कौन से काम थे जिन्हें करके सोनू सूद Devdoot Bane Sonu Sood ने इंसानियत को जिंदा रखा और सबके दिलों में अपनी जगह भी बनाई।

कोरोना काल में देवदूत बने सोनू सूद | Devdoot Bane Sonu Sood

‘भगवान’ का दिया घर

दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं, वर्ष 2020 में ही कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए और लोगो को इस माहामारी से बचाने के लिए मार्च माह में पूरे देश में लाॅकडाउन लगाने का फैसला लिया गया था। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपने घरों में रहने की अपील की थी।

ऐसे समय में भी अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने कर्तव्य को अच्छी तरह से निभाने वाले स्वास्थ्य कर्मी अपनी पूरी जी जान लगाकर इस बीमारी को हराने और लोगों को बचाने में लगे हुए थे।

ये स्वास्थ्यकर्मी न तो मरीज की जान बचाते समय उनका धर्म पूछते हैं और न ही उनकी जाति को महत्व देते हैं। हर मरीज की जान बचाना इनका धर्म है। इसीलिए इन्हें भगवान् की संज्ञा दी गई है। मगर जरा सोचिए, जब इन स्वास्थ्यकर्मियों को ही मुसीबतों और अपमान का सामना करना पड़े तो ये कितनी शर्म की बात है इस देश के लिए।

ये स्वास्थ्यकर्मी काफी लंबे समय तक कोरोना से संक्रमित मरीज के पास रहते थे और उनकी देखभाल करते थे। ऐसे में इनके कोरोना संक्रमित होने का खतरा हर घड़ी बना रहता था। इसीलिए जिन घरों में ये स्वास्थ्यकर्मी किराए के मकान में रहते थे उन्होंने इन्हें मकान से बाहर निकाल दिया। यहां तक कि कोरोना के भय के कारण लोग इन्हें कहीं भी किराए पर मकान देने को तैयार नहीं थे।

कहते हैं जब एक रास्ता बंद हो जाता है तो भगवान दूसरा रास्ता खोल देता है। स्वास्थ्यकर्मियों की इस दयनीय स्थिति को देखते हुए मशहूर बाॅलिवुड अभिनेता Devdoot Bane Sonu Sood सोनू सूद ने दरियादिली दिखाई। उन्होंने भारत देश की आर्थिक राजधानी मुंबई स्थित अपने जूहू होटल के दरवाजे खोल दिए। सोनू सूद के इस कार्य की सोशल मीडिया प्लैटफाॅम्र्स पर जमकर तारीफ हुई।
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प्रवासी मजदूरों की घर वापसी में मदद

जब पूरे देश में लाॅकडाउन लगा था तो जिस वर्ग पर इसकी सबसे ज़्यादा मार पड़ी वो वर्ग था प्रवासी मजदूरों का। प्रवासी मजदूरों को इस महामारी की सबसे भयंकर मार झेलनी पड़ी। जहां एक ओर सरकार इन मजदूरों के लिए हर संभव मदद का दावा कर रही थी।

तो वहीं दूसरी ओर इन मजदूरों की मजबूरी और इनकी बेबसी कुछ और ही हकीकत बयां कर रही थी। लाॅकडाउन के दौरान इन मजदूरों को सबसे ज्यादा जो डर सता रहा था वो था रोजी-रोटी छिन जाने का। वो पेट की आग ही थी दोस्तों, जिसने इन मजदूरों को मीलों पैदल चलकर अपने अपनों के पास वापस जाने पर मजबूर कर दिया था।

जहां एक ओर सरकार इन मजदूरों को घर वापस भेजने के लिए बसों और ट्रेनों के पर्याप्त बता रही थी, तो वहीं सरकार की बद इंतजामी किसी से छुपी भी नहीं थी। पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण बसों और ट्रेनों में खिड़कियों में लटक कर जाते प्रवासी मजदूरों के जाने का वो दृश्य याद आता है तो आज भी हर हिन्दुस्तानी का दिल दुखी हो जाता है।

सरकार के पर्याप्त इंतजाम न होने के कारण ही रेलवे ट्रैक पर 16 मजदूरों के कट जाने की खबर सामने आई जिसने सबको रूह तक हिला कर रख दिया। ऐसे में सोनू सूद Devdoot Bane Sonu Sood से इन प्रवासियों का दुःख देखा न गया। उन्होंने इनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाए। इसके चलते सोनू सूद ने सबसे पहले कर्नाटक के प्रवासी मजदूरों को बसों के माध्यम से अपने घरों तक सुरक्षित पहुंचाने का काम किया। आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने बस, ट्रेन और हवाई यात्रा के माध्यम से करीब 20000 प्रवासी मजदूरों को उनके अपनों से मिलवाने का काम किया।

भूखों को खाना खिलाया

दोस्तों शायद आप और हम जाने अनजाने में बहुत बार खाना छोड़ देते हैं। मगर आपको बता देें कि हमारी इसी आदत की वजह से पूरे भारत में करीब 50 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। ये आंकड़ा यूनिसेफ ने अपनी एक रिपोर्ट के आधार पर दिया है।

हमें खाने को बर्बाद नहीं करना चाहिए। ‘उतना ही लें थाली में, व्यर्थ न हो नाली में’। दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें एक वक्त की रोटी मिल जाए तो वो खुद को नसीबों वाला समझते हैं। जब पूरी दुनिया में कोरोना के कारण मध्यम वर्गी परिवार के लोगों पर गाज गिरने लगी। लोगों की नौकरियां छिन गईं।

उद्योग धंधे बंद हो गए। अन औद्योगिक क्षेत्र के लोग दाने दाने को मोहताज हो गए। तब सोनू सूद ने ऐसे लोगों के खाने की व्यवस्था की। सोनू ने अपने पिता शक्ति सागर सूद के नाम पर ऐसे लोगों के लिए शक्ति अन्नदानम को लाॅन्च Devdoot Bane Sonu Sood किया। इसके अंतर्गत मुंबई में तकरीबन 45000 लोगों को खाना खिलाया जा रहा था।

प्रवासी भारतीय छात्रों की वापसी

इसके अलावा प्रवासी छात्रों के लिए भी सोनू सूद किसी मसीहा से कम तो बिलकुल नहीं थे। हुआ कुछ यूं था कि उन्होंने किर्गिस्तान में फंसे करीब 135 भारतीय छात्रों को भारत लाने के लिए बिश्केक से लेकर वाराणसी तक एक चार्टर्ड प्लेन का प्रबंध भी किया। जिसकी मदद से उन सभी छात्रों को सकुशल भारत लाया गया।

स्वास्थ्यकर्मियों और पुलिस कर्मियों को बांटी पी पी ई किट

कोरोना महामारी के दौरान जो लोग अपने परिवार को भूलकर देश की सेवा में लगे हैं उन्हें फ्रंटलाइन वाॅरियर्स कहा जाता है। इनमें शामिल हैं स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी। इन्हीं लोगों को कोरोना का खतरा सबसे ज्यादा है इसके बावजूद भी ये लोग अपनी ड्यूटी अच्छे से निभा रहे हैं।

इन लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए सोनू सूद ने हजारों पी पी ई किट बंटवाई हैं। आपको बता दें कि उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों के लिए करीब 1500 पी पी ई किट उपलब्ध करवाए। इसके अलावा महाराष्ट्र में भी पुलिसकर्मियों के लिए 25000 फेस शील्ड का इंतजाम भी करवाया।

रोजगार की व्यवस्था

दोस्तों, लाॅकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों पर गाज गिरी है। उनका रोजगार छिन गया है। कोरोना के कारण कई सारे प्रवासी मजदूरों के आगे रोजी रोटी का संकट आ खड़ा हुआ। इसे देखते हुए सोनू सूद ने मदद का हाथ बढ़ाया। उन्होंने इन प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए प्रवासी रोजगार नाम से एप एवं वेबसाइट को लाॅंच किया।

इस प्लैटफाॅर्म की मदद से बेरोजगार लोगों को नौकरी देने वाले लोगों के साथ सीधा जोड़ा जाता है। इसका उद्देश्य श्रमिकों को प्रशिक्षण देना है ताकि वे अपने कौशल के दम पर रोजगार प्राप्त कर सकें। करीब तीन लाख लोगों को इस एप और वैब्साईट का लाभ पहुंचाने का लक्ष्य सोनू सूद ने रखा है।

किसानों की मदद Devdoot Bane Sonu Sood

दोस्तों, भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि के कारण ही हमारा देश आज तरक्की कर रहा है। लाॅकडाउन की मार किसानों पर भी पड़ी। सोनू सूद ने यहां भी अपनी दरियादिली दिखाई। दरअसल, आंद्रप्रदेश के किसान जिनके पास न तो खेती करने के लिए ट्रैक्टर था और न ही बैल। उन्होंने इन किसानों के लिए ट्रैक्टर की व्यवस्था। ऐसा करके उन्होंने इंसानियत की एक मिसाल कायम की है।

दूसरों की मदद करने की बड़ी-बड़ी बातें तो सभी करते हैं। इसके अलावा सरकार को दोष देने वालों की भी फेहरिस्त बहुत लंबी है। मगर दुनिया से अलग हटकर सोचना और वाकई जरूरतमंदों की मदद करना कोई सोनू सूद से सीखे। बाॅलिवुड जगत में इतनी शोहरत हालिस करने के बाद भी सोनू सूद हमेशा ही ज़मीन से जुड़े रहे।

उन्होंने कभी अपने आप पर घमंड नहीं किया। हमें भी सोनू सूद से प्रेरणा लेकर हमेशा जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना चाहिए Devdoot Bane Sonu Sood । जब हम दूसरों की मदद करने की सोचते हैं, उनका हित सोचते हैं तो ईश्वर हमारा हित सोचता है। जो व्यक्ति हमेशा दूसरों के बारे में सोचता है वो समाज में कभी भी किसी पहचान का मोहताज नहीं रहता।

वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी दोस्तों, कि कफन में जेब नहीं होती। हम जो पैसा अपनी कंजूसी के कारण बचा लेते हैं और कभी उन पैसों से जरूरतमंदों की मदद नहीं करते तो वो पैसे आपके व्यर्थ ही चले जाएंगे। इसलिए सोनू सूद Devdoot Bane Sonu Sood जैसे लोगों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में जितना संभव हो सकते, ज़रूरतमंदों और बेसहारा लोगों की मदद आप जरूर करें।

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