इन महलों में बसी है एक अलग दुनिया | 4 Indian Historical Places

दोस्तों, जैसा कि आप जानते हैं हमारा देश भारत Indian Historical Places विविधताओं का देश है। यहां पर अलग-अलग संस्कृतियां फलती-फूलती हैं। सबसे पहली और प्राचीन सभ्यता जिसने भारत में कदम रखा था वो थी सिंधु घाटी की सभ्यता। इसके अलावा गंगा-जमुनी तहजीब भी भारत की पहचान है। भारत के बारे में यह भी कहा जाता है दोस्तों कि ‘कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी।’

भारत की मिट्टी यहां के महान और प्रतापी शूरवीरों की कहानी कहती है। ‘भारत’, Indian Historical Places ये नाम सुनते ही हर हिन्दुस्तानी का सीना गर्व से चैड़ा हो जाता है। आप में से ऐसे बहुत से लोग होंगे जिन्हें यहां की कला और संस्कृति को जानने की इच्छा होती होगी। यहां पर पहले के जमाने में राज करने वाले राजा महाराजाओं की जीवन शेली कैसी थी, उनका खान-पान, रहन-सहन कैसा था, इस सब की जानकारी की इच्छा आप में से कई लोगों को होगी। तो चलिए हम आपके लिए लेकर आ गए हैं राजा महाराजाओं की निशानियों की कहानी। नहीं समझे। तो पूरा आर्टिकल पढ़े। हमें यकीन है आपको इस आर्टिकल में बहुत सी ऐसी रोचक जानकारी और तथ्य सुनने को मिलेंगे जो शायद ही आपने पहले कभी सुने होंगे। हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के कुछ राजाओं के द्वारा बनवाए गए ऐसे महलों के बारे में जो पूरी दुनिया में भारत को एक नई पहचान दिलाते हैं

इन महलों में बसी है एक अलग दुनिया | 4 Indian Historical Places

1. उमेध पैलेस

हमारे इस आर्टिकल में सबसे पहले हम बात करेंगे उमेध पैलेस के बारे में। अगर दुनिया के आलीशान होटलों की बात की जाए तो ये पैलेस नंबर 1 पर आता है। इस ऐतिहासिक पैलेस का निर्माण करवाया था 1943 में जोधपुर के महाराजा उमेध सिंह ने।

हालांकि इसकी शुरूआत हुई थी 1928 ई. में, लेकिन यह महल 16 वर्ष बाद पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ। उमेध पैलेस पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरत नक्काशी और वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह पैलेस एक और नाम से भी विश्व प्रसिद्ध है और वो नाम है छित्तर पैलेस।

इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह पैलेस छित्तर की पहाड़ियों पर स्थित है। इस पैलेस का निर्माण छित्तर की पहाड़ियों में मौजूद लाल-गेरूआ रंग के पत्थरों Indian Historical Places से किया गया है। अगर दुनिया के सबसे बडे प्राइवेट रेजिडेंट की लिस्ट खंगाली जाए तो इस पैलेस का नाम सबसे पहले आएगा। एक और रोचक तत्य इस महल को खास बनाता है। वो ये है कि बीसवीं सदि में निर्मित इस महल को उस वक्त निर्मित किया गया था जब भारत अकाल और सूखे की मार झेल रहा था। ऐसा करके राजा उमेध सिंह ने अकाल से पीड़ित करीब तीन हजार से अधिक लोगों को कई वर्षों तक रोजगार प्रदान किया था।

अगर कुछ और खासियतों पर नजर डाली जाए तो इस महल के ऊपर बने गोल गुंबद की उंचाई  Indian Historical Places लगभग 183 फुट है। उमेध भवन में करीब 347 से भी अधिक कमरे बनाए गए हैं। आपको बता दें कि इनमें से कई कमरों को जोधपुर के शाही परिवार के लोग उपयोग करते हैं। तो वहीं दूसरी ओर कुछ कमरों की खूबसूरती को चारचांद लगाने के लिए उन्हें लाईब्रेरी, होटल, म्यूजियम तथा गेस्ट रूम में बदला गया है।

इस महल की लंबाई की बात करें तो यह 26 एकड़ से भी अधिक इलाके में फैला हुआ है। इसमें मौजूद कमरों में से एक हिस्से को ताज ग्रुप द्वारा निर्मित एक फाइव स्टार होटल में बदल दिया गया है। वो एक चीज़ जो इस महल को और भी ज्यादा खास और रोमांचक बनाती है वो है कि इसमें पत्थरों कोे जोड़ने वाले मसाले का बहुत ही कम उपयोग हुआ है।

इस महल में लगे पत्थरों को इस प्रकार तराशा गया है कि ये एक दूसरे पर बहुत आसानी से फिट हो सकें। इसी खूबी के कारण काफी मात्रा में देशी व विदेशी सैलानी जोधपुर के इस महल को देखने के लिए आते हैं। अब हम आपको बताते हैं कि आखिर इस खूबसूरत इमारत का डिज़ाइन तैयार किसने किया। उनका नाम है हैनरी वैगन

ये एक अंग्रेज इंजीनियर थे जिन्हें अपनी अद्भुत डिज़ाइन आईडिया के लिए राॅयल गोल्ड मेडल भी मिल चुका था। ये लंडन में अपनी सेवाएं देते थे और वहां के टाउन प्लैनिंग इंस्टिट्यूट के फाउंडर Indian Historical Places भी थे। इस पैलेस के ठीक सामने मयानगढ़ पैलेस है। आज के समय में जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह और उनका पूरा परिवार इस महल में निवास करता है। इस पैलेस में आपको विभिन्न प्रकार के शाही कमरे देखने को मिल जाएंगे।

अगर आप इन कमरों में रुकना चाहते हैं तो आपकी जेब पर ही नहीं बल्कि आपके दिल पर भी वजन पड़ सकता है। क्योंकि इन शाही कमरों में किसी भी कमरे में एक रात रुकने का खर्च करीब 26 हजार है। जरा रुकिए जनाब। किस सोच में पड़ गए। अभी तो हमने न्यूनतम किराया बताया है। इसका अधिकतम किराया जानना तो अभी बाकी है। उमेध भवन पैलेस के शाही कमरे में अगर आप पूरे ठाठ बाट और शान से रुकने का मन बना चुके हैं तो इसके लिए आपको करीब 4 से 5 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ेंगे।

यह केवल एक रात रुकने का अधिकतम किराया है। जो होटल इस पैलेस में संचालित है उसे विश्व के नंबर 1 होटल का स्थान प्राप्त है। ये तो हुई अंदर की खूबसूरती की बात। चलिए अब आपको बताते हैं कि इस महल का बाहर से लुक कैसा है और यहां क्या क्या मौजूद है। दरअसल इस महल के अंदर की तरह ही इसका बाहरी हिस्सा भी बेहद सुंदर है।

यहां सबसे आगे बाग-बगीचे बनाए गए हैं जो महल की खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं। बागीचे के एक हिस्से में अनेक प्रकार के फल और सब्जियां उगाई जाती हैं। तो वहीं दूसरी ओर गाय और भैंस को पालते हैं जिससे जो दूध महल में उपयोग हो वो पूरी तरह शुद्ध हो। अगर आप इस महल को देखने गए और आपने यहां स्थित म्यूजियम को नहीं देखा तो समझिए आपने एक बहुत ही बेहतरीन चीज़ मिस कर दी। दोस्तों, आपको इस म्यूजियम में अनेक प्रकार के हथियार देखने को मिल जाएंगे जो राजा महाराजा इस्तेमाल किया करते थे।

साथ ही उन राॅयल और विंटेज कारों का भी इस म्यूजियम में बहुत बड़ा कलेक्शन है जिसे राजा प्रयोग में लाते थे। इस महल में आपको सिंहासन कक्ष, दरबार हाॅल, निजी मीटिंग हाॅल, बैंकेट हाॅल, निजी डायनिंग हाॅल, स्पा रूम, बिलियर्ड रूम भी देखने को मिलेंगे। इसके अवाला यहां पर बहुत बड़ा इंडोर स्वीमिंग पूल भी मौजूद है।

यहां मौजूद लाइब्रेरी में प्राचीन ग्रंथ और जोधपुर के इतिहास से जुड़े दस्तावेजों को भी सहेज कर रखा हुआ है। इस लाइब्रेरी के माध्यम से आप जोधपुर के राजा-महाराजाओं के युद्ध, संधियों, विकास कार्यों की पूरी जानकारी ले सकते हैं। अगर बात की जाए उमेध भवन की बाहरी खूबसूरती की तो वो तब और भी ज्यादा बढ़ जाती है जब रात के समय लाइटिंग के जरिए इस महल पर रोशनी की बारिश होती है।

अगर आपकी जेब आपको अलाउ करती है और आप अपने परिवार के साथ या अपने दोस्तों के साथ इस महल में अपना जन्मदिन मनाना चाहते हैं, या कोई अन्य फंक्शन करना चाहते हैं तो आपके लिए ये डेस्टिनेशन बेस्ट रहेगी। हर वर्ष देशी ओर विदेशी सैलानी यहां पर आते हैं और शादी समारोह का आयोजन भी करते हैं।

मुकेश अंबानी को भला कौन नहीं जानता। वो साल था 2013 जब अरब पति मुकेश अंबानी ने इसी उमेध भवन पैलेस में अपनी पत्नी नीता अंबानी का जन्मदिन मनाया था। इतना ही नहीं, ये महल उस खूबसूरत नज़ारे का भी साक्षी है जब बाॅलीवुड की ग्लैमरस गर्ल प्रियंका चोपड़ा ने अपने पति निक जोनस के साथ यहां धूमधाम से शादी की थी। इसके अतिरिक्त इस भवन में बहुत सी हाॅलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है।

चलिए आपको राजा उमेध सिंह के जीवन से जुड़े कुछ पहलुओं के बारे में बताते हैं। दरअसल जोधपुर के राजा उमेध सिंह का जन्म कोटा (राजस्थान) में हुआ था। गुमान सिंह इनके पिता का नाम था। कहा जाता है कि जिस वक्त इनके पिता की मृत्यु हुई उस वक्त ये महज 10 वर्ष के थे।

प्राचीन समय से ऐसा चला आ रहा है कि पिता की मृत्यु के बाद पुत्र ही पिता की सम्पत्ति का उत्तराधिकारी होगा। इस लिहाजा से राज गद्दी उन्हें ही मिलनी थी। मगर उम्र छोटी होने के कारण इन्होंने कोटा के प्रधानमंत्री जालिमसिंह के संरक्षण में ही राज गद्दी संभाली। ये वो दौर था जब मराठों ने अपनी बादशाहत कायम करने के लिए उत्पात मचा रखा था। इसी से बचने के लिए जालिमसिंह ने अंग्रेजों से हाथ मिला लिया था।

जब 1860 ई. में होल्कर से युद्ध में हारकर कर्नल मानसन कोटा चले गए, तब जालिमसिंह ने उनकी मदद की। मगर उन्हें इस बात का डर सता रहा था कि कहीं होल्कर नाराज न हो जाए, लिहाजा जालिमसिंह ने कर्नल को नगर से दूर ही रखा। 1874 ई में अंग्रेजी हुकूमत ने कोटा के प्रधानमंत्री पर उनके द्वारा किए गए अएसानों का बदला चुकाना चाहा। उन्होंने होल्कर के राज्य में सम्मिलित चार परगनों को जालिम सिंह को देना चाहा। उस वक्त जालिमसिंह ने वो परगने खुद स्वीकार न करके अपने स्वामी उमेध सिंह के नाम करवा दिए। इसके अलावा उमेध सिंह बूंदी (राजस्थान) के राजा भी बने।

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2. अम्बा विलास पैलेस

दुनिया के खूबसूरत और आलीशान महलों की हमारी लिस्ट में जो दूसरे नम्बर पर महल स्थित है वो है अम्बा विलास पैलेस। इसका असली नाम है मैसूर महल। यह महल दक्षिण भारत के प्रकृति की खूबसूरती को अपने में समेटे कर्नाटक राज्य के मैसूर शहर में स्थित है।

यह ऐतिहासिक महल भारत आने वाले विदेशी सैलानियों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस पैलेस का निर्माण मैसूर के राजा कृष्ण राजेंद्र वाडियार चतुर्थ ने बनवाया था। इस खूबसूरत महल के निर्माण कार्य को पूरा होने में करीब 15 वर्षों का समय लगा था। इसके निमार्ण की शुरूआत हुई थी 1897 में जो कि 1912 में पूरी तरह बन कर तैयार हुआ। ऐसा कहा जाता है कि पहले यह पैलेस चंदन की लकड़ियों से बनाया गया था।

लेकिन कुदरत का कहर कहें या फिर कोई अन्य कारण, यह महल क्षतिग्रस्त हो गया था। इसके बाद एक नए पैलेस को बनवाया गया था। खास बात ये है कि इस महल के निर्माण के बाद इसके एतिहासिक निमार्ण से बिलकुल भी छेड़छाड़ नहीं की गई। इस महल को बनाने में द्रविड़, पूरबी एवं वमनश स्थापत्यकला (आर्कीटेक्चर) का जादूई मिश्रण साफ नजर आता है। इस महल के निर्माण में स्लेटी पत्थरों का प्रयोग किया गया है।

इस महल की रंगत को और अधिक निखारता है गुलाबी रंग के पत्थरों से बना एक गुंबद। अम्बा विलास पैलेस में आपको एक अनूठी कलाकृति का सुंदर नजारा देखने को मिलेगा। जब आप इस महल में प्रवेश करेंगे तो प्रवेश द्वार की दाहिनी ओर आपको सोने की कलश से सजा हुआ मंदिर दिखाई देगा। इसी द्वार के दूसरे छोर पर भी एक ऐसा ही मंदिर है। यह मंदिर दूर से देखने पर धुंधला नजर आता है।

इसके उलटी दिशा में मुख्य भवन भी स्थित है। इसके बीच में एक बागीचा भी मौजूद है। महल की दीवारों पर बहुत सुंदर चित्र बने हुए हैं जो कि दशहरे से संबंधित हैं। इन्हें देख कर ऐसा लगता है मानो ये सजीव हों। अम्बा विलास पैलेस के अंदर एक बहुत बड़ा कक्ष है। इस कक्ष के गलियारे के कोने में आपको थोड़ी-थोड़ी दूर पर स्तंभ लगे हुए हैं। इन स्तंभों पर की गई नक्काशी की सुंदरता को शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है।

ऐसी ही नक्काशी की अद्भुत कला आपको महल की छत पर भी देखने को मिल जाएगी। जब आपकी नजर इस महल की दीवारों पर जाएगी तो आपको यहां राजा कृष्ण राजेन्द्र वाडियर के जीवन को सजीव Indian Historical Places करते चित्र लगे हुए मिलेंगे। इन चित्रों में से अधिकतर राजा राव वर्मा ने बनाए थे। कक्ष के बीचों बीच छत के पास जो गोल गुंबद है वो रंग बिरंगे शीशों से बना है।

ऐसा माना जाता है कि ये गुंबद सूरज और चांद की रोशनी को एकत्र करता है। इस महल की पहली मंजिल पर देवी देवताओं की तस्वीरें लगी हैं। इसके बाद दूसरी मंजिल पर आपको दरबार हाॅल देखने को मिलेगा जहां पर एक हिस्से में सुनहरे स्तंभ लगे हैं। यहीं पर महाराजा और महारानी के लिए बना सिंहासन भी रखा हुआ है।

महल में एक दुर्ग भी है जिसके गुंबद की शोभा बढ़ा रही हैं सोने की पत्रिकाएं। यहां मौजूद गुड़िया घर इस महल के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसमें अलग-अलग प्रकार की गुड़िया को रखा गया है। इस महल में मौजूद राजा-रानी के सिंहासन को देखने के लिए दशहरे के दिन प्रदर्शनी लगाई जाती है जिसे देखने दूर दराज से लोग काफी संख्या में यहां आते हैं।

महल के अंदर सात तोपें भी रखी गई हैं जहां पर गज द्वार से होकर आप पहुंच सकते हैं। इस महल के मध्य में विवाह मंडप स्थापित है। महल के भीतर दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास भी है। साथ ही यहां ऐसे कक्ष भी हैं जिनका उपयोग हथियार रखने के लिए किया जाता है। दशहरे के मौके पर ये महल किसी नई नवेली दुल्हन की तरह सज जाता है। इसे रोशन करने के लिए बिजली के 97 हजार बल्बों का प्रयोग किया जाता है। अगर आप छुट्यिों में कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां पर जरूर विजिट करें।

3. लक्ष्मी विलास पैलेस

दुनिया के न. 1 पैलेस की लिस्ट में तीसरे स्थान पर है लक्ष्मी विलास पैलेस। गुजरात राज्य के वडोदरा में स्थित यह पैलेस इतना खूबसूरत और विशाल है कि इसके आगे पूरी दुनिया के तमाम पैलेस बच्चे जैसे लगेंगे। जैसा कि आपको नाम से ही पता चल रहा है। इस पैलेस पर लक्ष्मी माता की असीम कृपा रही होगी।

चलिए अब इतिहास के पन्नों को खंगालते हैं और जानते हैं इस पैलेस से जुड़े कुछ ऐसे पहलुओं को जिनका जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। दरअसल इस पैलेस का निर्माण 1890 में महाराजा सैयाजी राव गायकवाड़ ने करवाया था। आपको बता दें कि वर्तमान समय में इस महल में महाराजा समरजीत सिंह गायकवाड़ अपनी पत्नी महारानी राधिका राजे गायकवाड़ रहते हैं। दोस्तों, इस रमणीय और अद्भुत महल का निर्माण इंडो स्कारसेनिक शैली की मदद से किया गया है।

आप में से बहुत से लोग ये जानते होंगे कि लंदन में स्थित Indian Historical Places एक खूबसूरत पैलेस है जिसका नाम है बकिंघम पैलेस। इसकी खूबसूरती को निहारने के लिए हर वर्ष लाखों लोग आते हैं। मगर भारत में बना लक्ष्मी विलास पैलेस के आगे यह लंदन का बकिंघम पैलेस भी बौना पड़ गया है। बताते चलें कि वडोदरा में स्थित ये पैलेस बकिंघम पैलेस से भी चार गुना बड़ा है। इस महल को बनाने के लिए यहां के राजा ने इस्लामिक तथा यूरोपीय वास्तुकला शैली का प्रयोग भी किया है।

ऐसा कहा जाता है कि इस महल को बनवाने के लिए राजा ने दो अंग्रेजी अधिकारियों को खास तौर पर नियुक्त किया था। इस भव्य महल में 170 कमरे बनवाए गए हैं। इसे दो भागों में बांटा गया था। एक हिस्सा महाराज के लिए तो वहीं दूसरा हिस्सा महारानी के लिए। अगर बात की जाए इस महल के प्रवेश द्वार की तो बेल्जियम ग्लास और विनीशियम झूमर या शांडलेयर उस वक्त से लेकर आज तक इस प्रवेश द्वार की शोभा बढ़ा रहे हैं।

इस महल के अंदर प्रवेश करेंगे तो आपको एक संग्रहालय भी दिखई देगा। इस संग्रहालय में युद्ध में प्रयोग किए जाने वाले हथियार जैसे, तोप, तलवार एवं अन्य सामान आज भी महाराज की शौर्य गाथा गाते हैं। यहां पर मौजूद विशाल स्वीमिंग पूल भी है जो यहां आने वाले हर व्यक्ति के लिए आकर्षण का केंद्र है। बच्चों के लिए तो ये जगह एक बहुत ही बेहतरीन सेल्फी प्वाइंट Indian Historical Places है। प्राचीन समय में राजा-महाराजा का यह रिवाज था कि वो अपनी प्रजा की फरियाद सुना करते थे और उनकी समस्याओं को दूर करते थे।

इसके लिए वो अपने महल में एक दरबार हाॅल बनवाया करते थे। यहां पर भी एक ऐसा ही विशाल दरबार हाॅल बना हुआ है। क्या आप जानते हैं, इस महल का डिज़ाइन किसने तैयार किया था? मेजर चाल्र्स मैंट ने। इनके बारे में एक इंट्रस्टिंग फैक्ट आपको बताते हैं। ऐसा कहा जाता है कि चाल्र्स मैंट ने इस पैलेस के पूरा बनने से कुछ समय पहले ही खुदकुशी कर ली थी। उन्हें अपनी कैल्कुलेशन के हिसाब से लगा कि शायद यह पैलेस गिर जाएगा।

मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। आज भी इस पैलेस की खूबसूरती और मजबूती को किसी की नजर नहीं लग पाई। चाल्र्स की मृत्यु के बाद इसकी कंस्ट्रक्शन को राॅबर्ट फैल्यूस ने जारी रखा था। यह महल आज भी वैसा का वैसा है। अगर इस महल की भौगोलिक स्थिति पर नजर डाली जाए तो यह महल करीब ]500 एकड़ से भी अधिक इलाके में फैला है। यह महल तकरीबन 125 वर्ष पुराना है।

इसकी गिनती दुनिया के चुनिंदा सबसे महंगे और लग्जरी महलों में भी की जाती है। प्रेम रोग, ग्रैंड मस्ती जैसी फिल्मों तथा कई एड फिल्मों की शूटिंग का भी गवाह बना है यह पैलेस। महाराजा फतेह सिंह म्यूजि़्ायम भी यहां पर मौजूद है। दुनिया के मशहूर पेंटर राजा रवि वर्मा की पेंटिग इस म्यूजि़्ायम में प्रदर्शित की जाती है। इस महल की भव्यता को यादों के कैमरे में कैद करने के लिए हर वर्ष लाखों देशी विदेशी सैलानी आते हैं।

चलिए आपको बताते हैं कि इस महल में और कौन कौन सी खासियत है। इस महल में आपको बहुत बड़ा क्रिकेट का मैदान देखने को मिल जाएगा। साथ ही यहां पर एक शानदार बैडमिंटन कोर्ट Indian Historical Places भी स्थित है। इस आलीशान महल को बनाने के लिए जिन बलुआ पत्थरों या सैंड स्टोन का इस्तेमाल किया गया उन्हें आगरा से मंगवाया गया था। राजस्थान तथा इटली से मार्बल मंगाई गई थी। इसके अलावा पुणे महाराष्ट्र से मंगाया गया था ब्लू ट्रैप स्टोन

इस महल का नामकरण उनकी तीसरी महारानी लक्ष्मी के नाम पर रखा गया जो कि तैंजोर की रानी थी। इस महल का विशाल ग्राउंड को गोल्र्फ कोर्स के रूप में उपयोग किया जाता है। यहां पर एक चिड़ियाघर भी मौजूद है। यहां पर आपको कांच की अतुल्नीय कारीगरी भी देखने को मिलेगी। हम जानते हैं कि इस पैलेस के बारे में जानने के बाद आपका बहुत मन कर रहा होगा कि यहां पर अपने परिवार या दोस्तों के साथ जाएं।

लेकिन उससे पहले आपको जाननी होंगी कुछ विशेष बातें। इस पैलेस के भीतर आप फोटोग्राफी या वीडियो बिलकुल नहीं कर सकते। इस पैलेस को करीब से जानने के लिए आपको 200 रुपए पर परसन देना होगा। विदेशी सैलानियों के लिए यहां की टिकट है 400 रुपए पर परसन।

अगर आप फाॅरेनर हैं और आप म्यूजि़्ायम देखना चाहते हैं तो आपको देने होंगे 150 रुपए पर परसन। महाराजा फतेह सिंह म्यूजि़्ायम को देखने के लिए आपको देने होंगे 60 रुपए। छोटे बच्चों का किराया है 40 रुपए। इस पैलेस को देखने के लिए टाइमिंग है सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक। अगर आप यहां पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां जाने का सही समय है अक्टूबर से लेकर मार्च Indian Historical Places तक का महीना। यहां तक पहुंचने के लिए आप बस, ट्रेन और प्लेन की मदद ले सकते हैं।

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4. राम नगर का किला

दोस्तों, आईए अब आपको ले चलते हैं एक और ऐतिहासिक एवं भव्य किले की सैर पर जिसे लोग राम नगर का किला के नाम से जानते हैं। जैसे ही आपके कदम इस इस खूबसूरत किले के मुख्य द्वार पर पड़ेंगे Indian Historical Places । आप देखेंगे कि यहां पर दो तोपों को रखा गया है जो कि प्राचीन काल में इस किले की दुश्मनों से रक्षा करने के लिए लगाई गई थीं। यह किला वाराणसी के राम नगर में स्थापित है।

इस किले का निर्माण गंगा नदी के पूर्वी तट पर हुआ है। इस किले के ठीक सामने आपको तुलसी घाट नजर आएगा। इस किले के निमार्ता हैं काशी नरेश बलवंत सिंह। उन्होंने इस किले का निर्माण सन् 1750 में करवाया था। इस किले में आपको प्राचीन समय के राजाओं-महाराजाओं के अस्त्र-शस्त्र का अवलोकन करने को मिल जाएगा।

अगर इसके निर्माण पर गौर किया जाए तो यह किला बना है मक्खन जैसे रंग वाले चुनार के बालू पत्थरों से जो कि इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाता है। कहा जाता है कि यहां पर करीब 18वीं सदी से ही काशी नरेश का वास है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से इस किले की दूरी करीब 2 किलो मीटर है। इस किले तक पहुंचने के लिए जिस पुल का निर्माण किया गया है उसका नाम है पाॅनटून पुल

अगर आप मौनसून के मौसम में यहां पर जाना चाहते हैं तो नौका से जाना ज्यादा सही रहेगा। अगर आप वाराणसी गए और आपने इस किले को नहीं देखा तो समझो आपने बहुत बड़ी उपलब्धि मिस कर दी। दोस्तों, शायद ही आप में से ऐसा कोई हो जिसने महान ऋषि वेदव्यास का नाम न सुना हो। ये वही हैं जिन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथ एवं महाकाव्य महाभारत Indian Historical Places की रचना की थी। कहा जाता है कि ऋषि वेद व्यास यहीं पर तपस्या करते थे। इस किले को ऋषि के प्रति समर्पण भाव दर्शाते हुए बनवाया गया था।

इस किले की दीवारों पर जो लेख हैं, पुरातत्वविदों के अनुसार वो 17वीं शताबदी के हैं। इस किले के नामकरण की बात की जाए तो कहा जाता है कि 18वीं सदी में यहां पर भगवान् राम के जीवन के अनेक पहलुओं और घटनाओं को दर्शाने वाले नाटकों का मंचन होने लगा। इसी कारण इस स्थान का नाम रामनगर का किला पड़ा। ऐसा माना जाता है कि काशी नरेश यहां अपने परिवार के साथ रहा करते थे और इस किले के भीतर उन्होंने कई सारे मंदिरों को भी बनवाया था।

उन मंदिरों में प्रमुख हैं दुर्गा मंदिर, छिन्न मस्तिका मंदिर और दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर। एक बात जो इस जगह को और भी खास बनाती है वो है कि यहां की बड़ी-बड़ी दीवारों Indian Historical Places पर एक अद्भुत घड़ी लगी है। यह घड़ी न केवल महीना, वर्ष, दिन और सप्ताह की जानकारी आपको देती है बल्कि इससे वैज्ञानिकों को सितारों, चंद्रमा, सूर्य के नक्षत्रों के बारे में भी ज्ञान मिलता है। इस किले के कुछ मुख्य आकर्षण केंद्र भी हैं जैसे कि यहां पर वास्तुकारों और शिल्पकारों द्वारा की गई विशेष प्रकार की नक्काशी से सुशोभित बालकनी एवं खुले आंगन जो यहां पर लोगों को आने के लिए मजबूर कर देंगे।

महाराजा अनंत नारायण सिंह इस अद्भुत किले में परिवार सहित निवास करते हैं। यहां पर भगवान राम की महिमा को दिखाने वाली रामलीला का मंचन भी किया जाता है जो कि 10 दिनों तक होती है। कहते हैं कि यहां के रावण दहन को देखने के लिए लोग दूर दराज से खिंचे चले आते हैं।

इतना ही नहीं दोस्तों, यहां पर एक त्यौहार भी फाल्गुन के महीने Indian Historical Places में मनाया जाता है जिसका नाम है राज मंगल त्यौहार। इसके अतिरिक्त इस स्थान पर आपको नौका रेस, डांस और गायन कला भी देखने को मिलेगी। यहां पर वयस्कों के लिए 15 रुपए और छोटे बच्चों के लिए 10 रुपए टिकेट लगती है।

लोगों के लिए इस किले को देखने का समय है सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक। होली तथा दीवाली के दिनों में यह किला बंद रहता है। इसके अलावा रविवार के दिन या फिर पब्लिक हाॅलीडे के दिन भी इस किले को लोगों के लिए खोल दिया जाता है। इस किले के आस पास रुकने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं जो कि आपके बजट में फिट बैठते हैं। यहां पर आपको कई बेहतरीन होटल और गेस्ट हाउस मिल जाएंगे जहां रुक कर आप अपनी थकान मिटा सकते हैं।

तो दोस्तों उम्मीद है आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। इनमें से बेस्ट प्लेस आपको कौनसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही इंटरस्टिंग फैक्ट्स हम आपके लिए ले कर आते रहेंगे। बने रहिए हमारी वेबसाइट ग्लोबल केयर के साथ।

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